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बांधवगढ़ नील गज़ल-1 |
देख मेरी हालात आज इस पल की|
गुमान न कर पलकों पर बैठा ले,
कौन सी बात तेरे दिल को खल की|
तेरे करीब रहने का अहसास अलग,
कोई जाने क्या अहसान तेरे आँचल की|
स्वाद जो मुहब्बत के रस में है साखी,
चखकर मैंने देख लिया दौलत के पल की|
'नील' के अरमान हम रूठे न इस कदर,
जरूरत हैं ज़माने को मुहब्बत के इस हल की||
सूरज कुमार साहू 'नील'
बांधवगढ़ उमरिया मप्र
#स्वरचित रचना सर्वाधिकार सुरक्षित
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