पेज के बारे में

नमस्कार साथियों,
मैं कोई बड़ा लेखक या कवि तो नहीं हूँ| मगर माता सरस्वती की कृपा जो भी होती हैं मैं उसी का अनुकरण करने की बस कोशिश करता हूँ| यह ब्लॉग बनाने का सिर्फ मेरा उद्देश्य यही है की लोग यदि मेरी लिखी रचना को एक जगह ही पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ पर आकर आसानी से पढ़ सकते हैं| अपनी प्रतिक्रिया भी दे सकते हैं| ये रचना पत्र पत्रिका, फेसबुक और व्हाट्स अप जैसे में संचालित साहित्यिक समूह आदि में भी मेरे द्वारा प्रेषित की गई हैं| जहाँ पर समूचे भारत के विभिन्न कवियों के द्वारा सराहीय या फिर मार्गदर्शित की गई हैं| मुझे इस बात की ख़ुशी भी, और उनका बहुत बहुत आभार भी व्यक्त करता हूँ| इन मेरी छोटी रचनाओं का उद्देश्य मात्र समय परिवर्तन के साथ समाज के बदलाव का आईना दिखाना हैं| और कुछ आपने मन के विचार जो अक्सर मेरे मन को झकझोर कर रख देते हैं, उन्हें सभी के बीच रखना हैं| मैं अपने द्वारा होने वाली गलती को अग्र ही क्षमाप्रार्थी हूँ, क्योंकि मैं भी नव सिखिया व्यक्ति हूँ| आप मेरे ब्लॉग में आकर पढ़ रहे हैं | प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं तो बहुत बहुत आभार| बस ध्यान रखे समाज सभी का हैं और कोई समाज परिवार से मिलकर बनता हैं| और परिवार व्यक्ति के बिना अधुरा हैं| इसलिए मैं भी आपके परिवार का साहित्यिक व्यक्ति हूँ| किसी को आपत्ति हो तो वह बेझिझक बिना पढ़े ही जा सकता हैं| मैं उसका भी बहुत बहुत आभारी रहूँगा|
बांधवगढ़ नील साहित्य मेरे ब्लॉग का नाम इसलिए भी मैंने चुना ताकि आप सभी को आसानी से समझ में आ सके| बांधवगढ़ से मतलब मेरा क्षेत्र से संबधित ओर नील मेरा साहित्यिक उपनाम भी हैं| और यह ब्लॉग पूरी तरह से मेरे द्वारा रचित साहित्य के लिए समर्पित हैं| जहाँ छोटी बड़ी लेकर विभिन्न रचनाओं का लेखन मैं करता हूँ| और आप सभी तक पहुँचने की कोशिश करता हूँ| 
मेरा साहित्य से लगाव बचपन से ही था| और समय समय में मुझे साहित्य की ओर सफलता हासिल होती गई| सबसे पहले पत्र पत्रिका, फिर फेसबुक में विभिन्न ग्रुप जो मात्र हिंदी साहित्य के लिए कार्यरत हैं पर लेखन, उसके बाद व्हाट्सअप पर भी संचलित ग्रुप में मेरा लेखन कार्य जारी हैं| चूकिं हिंदी के साथ साथ मेरी बोली बघेली भी हैं| जिसका प्रचलन उमरिया रीवा शहडोल सतना सीधी जिलों में ज्यादातर होता हैं| तो इस पेज के माद्धम से मैं बघेली बोली से भी रुबा रु करने की कोशिश करूँगा|
हिंदी साहित्य के लिए जो भी सेवा हो सकेगी मैं उसे पूरा करनी की कोशिश करता हँ| और आप लोगों से अपेक्षा भी की आप भी मेरे प्रति सहयोग बनाये रखेंगे| इस पेज में मेरे स्वयं के लिखी रचना ही प्रस्तुत हैं| और ये फेसबुक पत्र पत्रिका में स्थान भी पा चुकी रचना हैं| इसलिए इन सभी रचना का मालिकाना हक़ मेरा हैं| आप सब लोग आयें ओर मेरे बांधवगढ़ नील साहित्य पर हिंदी साहित्य की अनेकों रचना पढने का लाभ प्राप्त करें| आपका बहुत बहुत स्वागत हैं|
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार सभी का!
आपका अपना साथी
सूरज कुमार साहू नील,
बांधवगढ़ उमरिया मप्र

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